दिव्यांगों के लिए आरक्षित श्रेणी में चयनित, “श्रवण बाधित दिव्यांग” लिपिक अजय कुमार देवांगन की दिव्यांगता के जांच का उठा मुद्दा, सीएमएचओ की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में।
कवर्धा। जिले की स्वास्थ्य विभाग का विवादों के साथ चोली दामन का साथ है। यू तो स्वास्थ्य विभाग नित नए नए विवादों के लिए सुर्खियों में रहता है। हालिया मामला दिव्यांगों के लिए आरक्षित श्रेणी में विशेष भर्ती अभियान के तहत नियुक्त कर्मचारी के दिव्यांगता की जांच सत्यापन को लेकर कलेक्टर को हुई शिकायत का है।
बता दें सीएमएचओ ने दिव्यांगों के लिए आरक्षित श्रेणी में विशेष भर्ती अभियान के तहत श्री श्रवण बाधित दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर अजय कुमार देवांगन की नियुक्ति सहायक ग्रेड 3 के पद पर की है। नियुक्ति आदेश के नियम शर्तो की कंडिका 11 में आवेदकों को अपनी दिव्यांगता का स्थाई जीवित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर पात्र होना है। अजय कुमार देवांगन का दिव्यांग प्रमाण पत्र अस्थाई है जिसकी वैधता दिनांक 13/08/18 को समाप्त हो गई है। बता दें कि संचालक स्वास्थ्य के आदेश अनुसार बिलासपुर के कान नाक गला रोग विशेषज्ञ डॉ प्रमोद महाजन के द्वारा बनाये गए श्रवण बाधित दिव्यांग प्रमाण पत्रों की दिव्यांगता का जांच सत्यापन कराया जाना है। अजय कुमार देवांगन के दिव्यांग प्रमाण पत्र को भी बिलासपुर के उक्त चिकित्सक ने बनाया है। ऐसे में सीएमएचओ की भूमिका पर उंगली उठना लाजिमी है। सवाल खड़े होता है की आखिर नियुक्ति के समय जब अजय कुमार देवांगन के पास स्थाई प्रमाण पत्र नही था तो नियुक्ति के लिए पात्र कैसे हुआ? सीएमएचओ ने स्थाई प्रमाण पत्र के बिना नियुक्ति कैसे दे दी ? स्थाई प्रमाण पत्र जमा करने कर्मचारी को नोटिस क्यों नहीं दिया गया ? संज्ञान में आने के बाद भी कर्मचारी को उसके दिव्यांगता का सत्यापन के लिए सम्भागीय बोर्ड क्यों नही भेजा गया ? बहरहाल इसका सही खुलासा तो विस्तृत जांच के बाद ही होगा।
शिकतकर्ता ने कलेक्टर कबीरधाम को शिकायत आवेदन पत्र देकर अजय कुमार देवांगन के दिव्यांगता का सम्भागीय मेडिकल बोर्ड से जांच करवाने तथा नियुक्ति आदेश के नियम शर्त अनुसार स्थाई जीवित प्रमाण पत्र जमा करवाने लिखा है। अब देखना होगा की दिव्यांग जनों के लिए आरक्षित सीटों पर विशेष भर्ती अभियान जैसे गम्भीर विषय की शिकायत पर कितनी जल्दी कार्यवाही होती है।