आज कवर्धा में महाअष्टमी पर निकला जलते खप्पर और तलवार के साथ देवी का रूप, 150 साल पुरानी परंपरा का हुआ निर्वहन
कवर्धा। महाअष्टमी की रात कवर्धा नगर एक बार फिर आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था से सराबोर हो उठा, जब माँ चंडी और परमेश्वरी देवी के मंदिरों से जलते हुए खप्पर और तलवार के साथ देवी का रूप नगर भ्रमण पर निकला। यह आयोजन कवर्धा की 150 वर्षों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है, जो आज भी उतनी ही श्रद्धा और रहस्य से परिपूर्ण होकर निभाई जाती है।
हर वर्ष की तरह इस बार भी देवी का यह रात्रिकालीन भ्रमण विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न हुआ। इस दौरान नगर की सड़कों को पूरी तरह खाली रखा गया और आम लोगों की आवाजाही पूर्णतः प्रतिबंधित रही। पुलिस और प्रशासन द्वारा कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए गए थे, ताकि परंपरा निर्विघ्न रूप से पूरी हो सके।
देवी के इस रूप में जलता हुआ खप्पर और हाथ में तलवार लेकर नगर भ्रमण करने की मान्यता यह है कि इससे नगर में सुख-समृद्धि आती है और आपदाओं का नाश होता है। इसे देखने और इसकी ऊर्जा से लाभ प्राप्त करने की कामना लिए हर वर्ष दूर-दूर से श्रद्धालु कवर्धा पहुंचते हैं, हालांकि प्रत्यक्ष दर्शन सभी को नहीं होते।
यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कवर्धा की सांस्कृतिक विरासत और लोक आस्था का जीवंत प्रतीक भी है।





