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बड़ी ख़बर: नवघटा–सबराटोला में भ्रष्टाचार की गूंज: घर-घर जाकर की गई अवैध वसूली! शौचालय स्वीकृति के नाम पर 2000 रुपये तक वसूली

नवघटा–सबराटोला में भ्रष्टाचार की गूंज: घर-घर जाकर की गई अवैध वसूली! शौचालय स्वीकृति के नाम पर 2000 रुपये तक वसूली

सहसपुर लोहारा। राष्ट्रीय स्तर की स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजना के अंतर्गत बड़ा खुलासा हुआ है, जहां जनपद पंचायत सहसपुर लोहारा अंतर्गत ग्राम नवघटा और सबराटोला के 137 गरीब ग्रामीणों से व्यक्तिगत शौचालय स्वीकृति दिलाने के नाम पर भारी-भरकम वसूली का आरोप सामने आया है। ग्रामीणों के मुताबिक, ग्राम पंचायत नवघटा की भूतपूर्व सरपंच तिजन बाई जायसवाल और उनके पति जीवराखन सिन्हा ने प्रति परिवार 1000 से 2000 रुपये तक की वसूली घर–घर जाकर की।

ग्रामीणों ने बताया कि अधिकांश परिवार बीपीएल, एपीएल, विधवा, भूमिहीन, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के हैं, जिन्होंने मजदूरी करके यह राशि जमा की थी। लेकिन एक साल से भी अधिक समय बीत जाने के बाद न तो शौचालय बना, न ही राशि वापस की गई। ग्रामीणों ने इस ठगी को आर्थिक ही नहीं, बल्कि मानसिक शोषण भी बताया।

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सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ग्रामीणों के अनुसार, पंचायत भवन में खुलेआम पूर्व सरपंच के पति जीवराखन सिन्हा ने कहा कि उन्होंने शौचालय स्वीकृति के लिए जनपद पंचायत सहसपुर लोहारा में पदस्थ स्वच्छ भारत मिशन समन्वयक उत्तम कुमार साहू को 52,000 रुपये दिए हैं। इस वसूली की हस्तलिखित सूची भी उनके पास प्रमाण के रूप में मौजूद है, फिर भी आज तक किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

ग्रामीणों का आरोप बेहद गंभीर है—

“ऊपर से नीचे तक सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही। गरीब हितग्राही महीनों से दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि अगर एक पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन योजना का हाल यह है, तो बाकी पंचायतों की स्थिति क्या होगी, यह सोचकर ही चिंता बढ़ जाती है।

ग्रामीणों ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत सहसपुर लोहारा को लिखित शिकायत दी है और इसकी प्रतिलिपि जिलाधीश कबीरधाम, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और एसडीएम सहसपुर लोहारा को भी सौंपी है।

ग्रामीणों की प्रमुख माँगें—

अवैध रूप से वसूली गई पूरी राशि तत्काल वापस कराई जाए।

पूर्व सरपंच परिवार तथा संलिप्त कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

स्वच्छ भारत मिशन में फैले भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच हो।

इस घटना ने स्वच्छ भारत मिशन की पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ग्रामीण न्याय की उम्मीद में हैं, और अब पूरा क्षेत्र जिला प्रशासन की कार्रवाई का इंतज़ार कर रहा है।

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